.            Short Stories            .            सपना             माला

. Short Stories . सपना माला

July 12, 2019 Off By Satyajit Verma

सपना

सुन्दर सा दिन है, मैं नदी में तैर रहा हूँ। वो दूर पर कुछ लोग अपनी अपनी नावों में सैर कर रहें हैं। कुछ छोटी नावें, थोड़े से लोग। कुछ बड़े-बड़े जहाज़, जिसमें सैकड़ों की तादाद में लोग। ज़ोर-ज़ोर से संगीत की आवाज़ आ रही है कुछ नावोंसे और किन्हीं नावों पर जैसे ज़ोर-शोर से त्यौहार का मौसम चल रहा हो। कई नावों पर से कुछ लोग मेरी तरफ उँगली दिखा रहें हैं। मैं उनकी आवाज़ कुछ-कुछ सुन पा रहा हूँ – ऐ जल्दी से हमारी नाव में आ जाओ, वरना डूब जाओगे, हमारी नाव में आ जाओ, हम लोगों के साथ तुम सुरक्षित रहोगे।

मैं उनको अनसुना करने का प्रयत्न कर रहा हूँ।

बेवकूफ़ सबके सब। कुछ ही देर में ये सब ख़ुद पानी में होंगे। इनको नहीं मालूम कि थोड़ी ही दूर पर नदी सागर में मिल जाती है, और वहाँ उनकी नौकाओं को टूटना ही है।

. माला .

खिड़की से बाहर देखते ही बड़े कड़ाके की ठँडक की अनुभूति होती है। आह! खिड़की के इस तरफ बैठना कितना अच्छा लग रहा है। कुछ ही दूर पर अँगीठी में जलती लकड़ियों से आग की नाचती हुई लपटें मेरी देह और आँखों को धीमे-धीमे सेंक रही हैं। उनकी हर उछाल में क्षण भर के लिये बनती बिगड़ती आकृतियां आँखों को बरबस अपनी तरफ खींच लेती हैं। मेरे चारों तरफ हल्के अस्पष्ट से स्वर थपकियां दे रहें हैं। चाहूँ तो सुन लूँ, परन्तु अपने अन्दर धीरे -धीरे बढ़ती हुई गरमाहट पर ध्यान देना इतना सुखद प्रतीत हो रहा है कि मैं उसमें ही मस्त हूँ। ठंड के मौसम की घनी रात है, बाहर नितान्त शुष्क और स्वच्छ वातावरण। रेस्टोरेंट की खिड़कियों से दूर-दूर की बत्तियां दीख रही हैं। खिड़की से बाहर कुछ ही दूर एक लम्बा सा लड़की का पुल है। अँधकार और प्रकाश की लुका-छिपी में पुल की दाहिने ओर मुड़ती हुई आकृति की एक धूमिल झलक दिख जाती है। हर थोड़ी दूर पर सन्तरियों की तरह एक कतार में निश्चल खड़े हुये ऊँचे लड़की के खम्भे, और हर खम्भे पर बैठी हुई प्रकाश की एक बूँद। मारे ठँड के सहमी सी, सिमटी सी बूँदे। एक …….. दो …….. तीन …………. चार ………….., जैसे-जैसे दूर जाओ, बूँदे उतनी छोटी होती जाती हैं। पुल के वक्र आकार पर विस्तृत ये प्रकाश की बूँदें मोतियों की एक माला सी लग रही हैं। यहाँ से लेकर वहाँ दूर तक, गहरी नीली रात के गले में जड़ी हुई जगमगाती मोतियों की माला। जैसे किसी दुल्हन ने अपना नौलखा हार रात भर के लिए यहाँ छोड़ रखा हो। इतना सुन्दर हार! कितनी सुन्दर होगी इतने सुन्दर हार की स्वामिनी वह दुल्हन ?