. Solitary Thoughts . चित्तपट
मेरा दूसरा मैं, सोया हुआ
कभी – कभी उठता है
सिर्फ मुझे कोंचने के लिये
अपनी सभी क्रियाओं को
मैं खुद देखूँ
एक अजनबी की तरह
भीनी सुबह
शान्त तालाब
एक सफेद कमल
कभी – कभी मैं सोचता हूँ
मुझे सोचना चाहिए
सोचने के बारे में
पूर्ण घने अंधकार
में
जगमगाती मणि
सभी आवाजें बन्द
सुनो
शान्ति का मधुर गुञ्जन
ऐंठे हुए
रंग बिरंगे कपड़े
सफ़ेद सी चादर पर
इधर का आसमान
उधर का आसमान
बीच में खिड़की
तारों भरी रात
महाकाय
सूक्ष्मकाय
लाखों लोग बाहें ऊपर उठाये
चारों तरफ हाहाकार
पानी चाहिए
मेरे पीछे ब्रह्मांड
मेरी खुली हथेलियां
मेरा अण्डकोष
एक बृहत ब्रह्मांड में
अनगिनत सूक्ष्म ब्रह्मांड
जन समुदाय
तप्त धरती
वर्षा
सोधीं हवा